Friday 14 December 2018

Memory of Gau Maha Mahotsav by Devi chitralekhaji

with Suresh Chavhanke 
News anchor Suresh Chavhanke is the chairman, managing director and the editor-in-chief  
Sudarshan News




With Bharti Arora IPS officer from 1998 batch After Kiran Bedi, the number on women IPS increased in such great speed that it became impossible to count them on fingers. This is a very good symbol, as it prove that there is no discrimination made with any of the candidates based on gender. The saying that everyone is equal under the eye of law is not just on papers but also in real practice. Let me introduce you to another woman IPS of our nation Bharti Arora of 1998 batch. She belongs from Haryana Cadre.    

 with Swami Ramdev
Baba Ramdev is an Indian yoga guru known for his work in ayurveda, business, politics and agriculture. He co-founded the Patanjali Ayurved Ltd. with his colleague Acharya Balkrishna and has shown interest in political issues.

with Devi chitralekhaji 
About
Deviji Serving Shrimad Bhagwat Katha over the world in India, USA, Canada & UK etc.


with Morari Bapu was born on 25 September 1946 in Talgajarda near Mahuva, Gujarat. He is a popular Hindu kathakaar, who has been giving 9 day-long Spiritual and religious talks/ programs in both Gujrati





with indresh Upadhyay ji from Vrindavan





with Mahamandleshwar Swami Dharam Dev Ji... - Ashram Hari Pataudi 




with Deepak mangla political secretory to cm Haryana 










Radhe Radhe bol Remix Bhajan of Devi Chitralekha ji

Free Download from Google Drive link
 Click here to Download - Radhe Radhe bol Dj remix by Rahul sharma
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Saturday 17 November 2018

rahul sharma tiwari with vipul goel & devi chitralekhaji in gau seva dham

Rahul Sharma Tiwari celebrating gopashtmi mahotsav at gau seva dham hospital
with vipul goel ( vipul goyal) Devi Chitralekhaji
& Other politicians at Hodal Kosi Border


चित्रलेखा जी के हाँस्पीटल में विपुल गोयल जी ने मनाया गोपाष्टमी का पर्व गोपाष्टमी पर हुआ गायों का पूजन

गौ पूजन व गौभंडारा कर मनाया गया गोपाष्टमी का पर्व
चित्रलेखा जी के हाँस्पीटल में विपुल गोयल जी ने मनाया गोपाष्टमी का पर्व
गोपाष्टमी पर हुआ गायों का पूजन
देशी-विदेशी भक्तों सगं मनाया गया गोपाष्टमी का पर्व

करमन बार्डर स्थित देवी चित्रलेखा जी के गौसेवा धाम हाँस्पीटल में विगत शुक्रवार को गोपाष्टमी का पर्व वड़ी धूमधाम से मनाया गया। 
आस-पास के साथ दूर-दराज तथा विदेश तक से आये श्रद्धालुओं ने प्रातःकाल हवन, कीर्तन के बाद समूचे गौसेवा धाम की परिक्रमा के साथ कार्यक्रम का श्रीगणेश किया।
 तत्पश्चात मुख्य अतिथि के रूप में हरियाणा सरकार के उघोग एवं पर्यावरण मंत्री श्री विपुल गोयल ने गायों को गुड़ खिलाकर गोपाष्टमी पर आयोजित गोष्ठी की शुरूआत की। उन्होनें बताया कि भगवान कृष्ण ने 5 साल 2 माह की उम्र में गायों को सर्वप्रथम चराना प्रारंभ किया था तभी से गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाने लगा। साथ ही श्री गोयल ने प्रदेश सरकार की उपलब्धि बताते हुये कहा कि सरकार ने गौवंश की सेवा हेतू गौसेवा आयोग के नाम से एक विभाग की स्थापना की है जो कि गौवंश के संवर्धन पर कार्य करता है। गौसेवा धाम हाँस्पीटल में की जा रही असहाय गौंवश की सेवा से प्रभावित होकर उन्होनें 11 लाख रूपये का सहयोग भी देने का आश्वासन दिया व आगामी समय में एक बड़ी अल्ट्रसाउंड मशीन हरियाणा सरकार से दिलावाने का भी आश्वासन दिया।







गौ सेवा धाम संचालिका देवी चित्रलेखाजी ने गोपाष्टमी को महत्व को समझते हुए बताया की कार्त‍िक मास के शुक्‍ल पक्ष की अष्‍टमी को गोपाष्‍टमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गौ चारण लीला शुरू की थी. गाय को गोमाता भी कहा जाता है. क्‍योंकि गाय को मां का दर्जा दिया गया है. ऐसी मान्‍यता है क‍ि इसी द‍िन बाल कृष्‍णा और बलराम ने गाय चराना शुरू क‍िया था. एक दूसरी कहानी जो प्रचल‍ित है, उसके अनुसार ऐसा कहा जाता है क‍ि बाल कृष्‍ण ने माता यशोदा से इस द‍िन गाय चराने की ज‍िद की थी और यशोदा मइया ने कृष्‍ण के प‍िता से इसकी अनुमत‍ि मांगी थी. नंद महाराज से अनुमत‍ि दे दी और एक ब्राह्मण से म‍िले.
ब्राह्मण ने कहा क‍ि गाय चराने की शुरुआत करने के ल‍िए यह द‍िन अच्‍छा और शुभ है. इसल‍िए अष्‍टमी पर कृष्‍ण ग्‍वाला बन गए और उन्‍हें गोव‍िन्‍दा के नाम से लोग पुकारने लगे

समस्त आयोजन में आसपास की समस्त गौशालों के प्रधाऩ व समस्त चैबीसी की सरदारी पंच तथा सरपंच, देश व विदेश से आये गौभक्त मुख्य रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में उपस्थित हजारों की संख्या में आये हुये भक्तों के लिये भंडारा प्रसाद वितरित किया गया साथ में ही 10 से ज्यादा गौशालाओं की 10 हजार से अधिक गायों के लिये गौ महाभोज हेतू हरा चारा, खीर, मीठा दलिया, हरी सब्जियाँ, गुड़, हजारों ताजी रोटियाँ आदि गौसेवा धाम में तैयार कर गौशालाओं को भिजावाई गयी।


Thursday 8 November 2018

Tuesday 10 July 2018

देवी चित्रलेखाजी के पिताजी पं श्री टीकाराम शर्मा जी (स्वामीजी) को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाये 🙏🏻💐🎂😊

देवी चित्रलेखाजी के पिताजी पं श्री टीकाराम शर्मा जी (स्वामीजी) को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाये
🙏🏻💐🎂😊
Happy birthday to pandit Shri Teekaram sharma ji ( swamiji) father of Devi Chitralekha ji

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Friday 18 May 2018

जानिए मथुरा-वृंदावन का इतिहास, रहस्य, मन्दिरे


"मथुरा भगवान श्री कृष्ण का निवासस्थान है और हिन्दू समाज में इसका बड़ा धार्मिक महत्त्व है। यहाँ का इतिहास अत्यंत पुराना है। यहाँ तक कि महाग्रंथ रामायण में भी मथुरा का उल्लेख है।"



आगरा से करीब एक घंटे की सड़क यात्रा करने के बाद यमुना के किनारे भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्थल मथुरा स्थित है। इस पूरे क्षेत्र में भव्य मंदिर निर्मित हैं जो श्री कृष्ण के जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं। मथुरा और वृंदावन के जुड़वा शहर, जहां श्री कृष्ण का जन्म और लालन पालन हुआ, आज भी उनकी लीला और उनकी जादुई बांसुरी की ध्वनि से गुंजित रहते हैं।
यहाँ के प्रमुख मंदिर है: गोविन्द देव मंदिर, रंगजी मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, बांकेबिहारी मंदिर और इस्कॉन मंदिर यहाँ के प्रमुख मंदिरों में से हैं।
श्री कृष्ण के जीवन से जुड़े अन्य स्थान हैं गोकुल, बरसाना और गोवर्धन। गोकुल में श्री कृष्ण का पालन उनके मामा कंस की नजर से दूर चोरी छिपे किया गया था। श्री कृष्ण की सहचरी राधा बरसाना में रहती थीं, जहां आज भी होली के अवसर पर लट्ठमार होली धूम धाम से खेली जाती है। गोवर्धन में श्री कृष्ण ने स्थानीय निवासियों को वर्षा के देवता इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी ऊँगली पर उठा लिया था।

  • आगरा से 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मथुरा और उससे थोड़ी ही दूर स्थित वृंदावन, पौराणिक ब्रज भूमि के जुड़वां शहर हैं।
  • बृज भूमि के आस-पास स्थित सभी स्थल एवं चिन्ह आपको धार्मिक यात्रा का आनंद देने में सक्षम है।
  • इन जुड़वां शहरों से जुड़ी हैं भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं, सांस्कृतिक परंपराएं। यहां की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में भी ईश्वरीय उपस्थिति का एहसास होता है।
  • मंत्रमुग्ध कर देने वाले मंदिरों, बाग-बगीचों, गीत -संगीत, नृत्य और कला के बीच सामने आते भगवान कृष्ण से जुड़े रूपक पर्यटकों को भक्ति भाव से सराबोर करते हैं।
  • चरकुला नृत्य, रासलीला और लोक गीत-संगीत प्रेम और समर्पण का अद्भुत ताना-बाना बुनता है।
  • मथुरा संग्रहालय में सुरक्षित रखा ऐतिहासिक खजाना प्राचीन आलीशान दौर को देखने का मौका देता है।



मथुरा

वृंदावन


Tuesday 24 April 2018

मां शब्द की उत्पत्ति गो माता से हुई है : देवी चित्रलेखा

गुमो में चल रहे शतचंडी महायज्ञ में प्रवचन के दौरान परम पूज्य देवी चित्रलेखा जी ने भक्तों को भगवान की कई कथा सुनाई. उन्होंने कहा कि मां शब्द की उत्पत्ति माता गो से हुई है. जब गाय माता का बछड़ा जन्म लेता है, तो प्रथम शब्द का उच्चारण मां ही होता है. इसलिए गाय हमारी नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की माता है. उन्होंने प्र ाद चरित्र व नर्सिंग देव की कथा सुनाते हुए कहा कि जब प्र ाद जी से उनके पिता ने पूछा था कि परमात्मा कहां है, तो प्र ाद ने जवाब दिया था कि परमात्मा सर्वत्र, सर्वव्यापी व सर्व शक्तिमान हैं. कण-कण में विराजमान हैं. इस पर हिरण कश्यप ने क्रोध में आकर कहा कि क्या तेरे परमात्मा इस खंभे में बैठे हैं, तो प्र ाद ने उस खंभे की ओर देखा तो उसे वहां परमात्मा के दर्शन भी हुए. देवी चित्रलेखा जी ने गजेंद्र उपाख्यान, समुद्र मंथन, 14 रत्नों का वर्णन, वामन चरित्र, मत्सया अवतार की भी कथा सुनायी. इसके अलावा सूर्य वंश व श्रीराम कथा चरित्र को श्लोक के माध्यम से बताया.

कथा के समापन दिवस मै मनाई गयी फूली होली

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कथा के समापन दिवस मै मनाई गयी फूली होली*

*गौसेवा धाम हाँस्पीटल में चल रहे  तृतीय गौ महा महोत्सव का आज समापन हुआ*

*कृष्ण की जय-जयकार से गूंज उठा गौ सेवा धाम परिसर*

*सुदामा की कथा को सुन श्रद्धालुओं की आंखों से झलके अश्रृ*


कोसी कलां व होडल के  बार्डर स्थित देवी चित्रलेखा जी के द्वारा संचालित गौसेवा धाम हाँस्पीटल में सात दिनों से चल रही श्रीमद् भागवत कथा का विगत शनिवार को समापन हुआ।  जिसमें मुख्य कथा वाचक पं0 कृष्ण चद्रं शास्त्री जी महाराज अपने मुखारविंद से भागवत कथा का  रसपान कराया।

समापन दिवस पर ठाकुरजी ने कथा के सातवें दिन सुदामा चरित्र प्रसंग सुनाया

सुदामा की कथा को सुन श्रद्धालुओं की आंखों से अश्रु झलक पड़े

कथा व्यास श्री ठाकुर जी ने कहा कि भगवान कृष्ण ने अपने पुराने सखा जो दीन हीन हालत में थे उनके चरण पखार कर चावल का रसास्वादन किया। तीन मुट्ठी चावल के बदले तीन लोकों का राज्य देने का मन बना लिया था। इससे तात्पर्य है कि मित्रता में एक दूसरे का सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें कोई छोटा बड़ा नहीं होता। सत्ता पाकर व्यक्ति को घमंड नहीं करना चाहिए। बल्कि उसे श्रीकृष्ण जैसा विनम्रता एवं उदारता का आचरण अपनाना चाहिए। जो इंसान श्रीकृष्ण के जैसा आचरण अपना लेता है। वह संसार के माेह माया से पूरी तरह त्याग कर देता है।

 समापन दिवस पर  फूल होली का आयोजन किया गया जिसमे  मै आस पास व दूर दराज से  पधारे हजारो श्रद्धालुजनों ने  झाकियाँ व होली का लुत्फ़ उठाया

तत्पश्चात श्रद्धालुजनों को ब्रिज का  प्रसाद वितरित किया गया।

कथा के मध्य में आश्रम हरि मंदिर पटौदी के मेहैंत श्री महा मंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव जी पधारे व् फूल होली मई सम्मलित हुए

 बजरंग दल, गौरक्षक दल तथा अन्य कई सामाजिक संस्थाओं को मिलाकर लगभग 5000 से भी अधिक लोग इस भंडारा व समापन दिवस  में सहभागी बने ।

समस्त आयोजन का संचालन गौ सेवा धाम के अध्यक्ष पं0 टीकाराम स्वामीजी ने कियाऔर सभी क्षेत्र वासिओ  का आयोजन के सफल समापन पर हार्दिक आभार व्यक्त किया

समस्त आयोजन में सभी कार्यकर्ताओं का विशेष सहयोग रहा।
news by Rahul sharma tiwari