Tuesday 24 April 2018

मां शब्द की उत्पत्ति गो माता से हुई है : देवी चित्रलेखा

गुमो में चल रहे शतचंडी महायज्ञ में प्रवचन के दौरान परम पूज्य देवी चित्रलेखा जी ने भक्तों को भगवान की कई कथा सुनाई. उन्होंने कहा कि मां शब्द की उत्पत्ति माता गो से हुई है. जब गाय माता का बछड़ा जन्म लेता है, तो प्रथम शब्द का उच्चारण मां ही होता है. इसलिए गाय हमारी नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की माता है. उन्होंने प्र ाद चरित्र व नर्सिंग देव की कथा सुनाते हुए कहा कि जब प्र ाद जी से उनके पिता ने पूछा था कि परमात्मा कहां है, तो प्र ाद ने जवाब दिया था कि परमात्मा सर्वत्र, सर्वव्यापी व सर्व शक्तिमान हैं. कण-कण में विराजमान हैं. इस पर हिरण कश्यप ने क्रोध में आकर कहा कि क्या तेरे परमात्मा इस खंभे में बैठे हैं, तो प्र ाद ने उस खंभे की ओर देखा तो उसे वहां परमात्मा के दर्शन भी हुए. देवी चित्रलेखा जी ने गजेंद्र उपाख्यान, समुद्र मंथन, 14 रत्नों का वर्णन, वामन चरित्र, मत्सया अवतार की भी कथा सुनायी. इसके अलावा सूर्य वंश व श्रीराम कथा चरित्र को श्लोक के माध्यम से बताया.

कथा के समापन दिवस मै मनाई गयी फूली होली

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कथा के समापन दिवस मै मनाई गयी फूली होली*

*गौसेवा धाम हाँस्पीटल में चल रहे  तृतीय गौ महा महोत्सव का आज समापन हुआ*

*कृष्ण की जय-जयकार से गूंज उठा गौ सेवा धाम परिसर*

*सुदामा की कथा को सुन श्रद्धालुओं की आंखों से झलके अश्रृ*


कोसी कलां व होडल के  बार्डर स्थित देवी चित्रलेखा जी के द्वारा संचालित गौसेवा धाम हाँस्पीटल में सात दिनों से चल रही श्रीमद् भागवत कथा का विगत शनिवार को समापन हुआ।  जिसमें मुख्य कथा वाचक पं0 कृष्ण चद्रं शास्त्री जी महाराज अपने मुखारविंद से भागवत कथा का  रसपान कराया।

समापन दिवस पर ठाकुरजी ने कथा के सातवें दिन सुदामा चरित्र प्रसंग सुनाया

सुदामा की कथा को सुन श्रद्धालुओं की आंखों से अश्रु झलक पड़े

कथा व्यास श्री ठाकुर जी ने कहा कि भगवान कृष्ण ने अपने पुराने सखा जो दीन हीन हालत में थे उनके चरण पखार कर चावल का रसास्वादन किया। तीन मुट्ठी चावल के बदले तीन लोकों का राज्य देने का मन बना लिया था। इससे तात्पर्य है कि मित्रता में एक दूसरे का सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें कोई छोटा बड़ा नहीं होता। सत्ता पाकर व्यक्ति को घमंड नहीं करना चाहिए। बल्कि उसे श्रीकृष्ण जैसा विनम्रता एवं उदारता का आचरण अपनाना चाहिए। जो इंसान श्रीकृष्ण के जैसा आचरण अपना लेता है। वह संसार के माेह माया से पूरी तरह त्याग कर देता है।

 समापन दिवस पर  फूल होली का आयोजन किया गया जिसमे  मै आस पास व दूर दराज से  पधारे हजारो श्रद्धालुजनों ने  झाकियाँ व होली का लुत्फ़ उठाया

तत्पश्चात श्रद्धालुजनों को ब्रिज का  प्रसाद वितरित किया गया।

कथा के मध्य में आश्रम हरि मंदिर पटौदी के मेहैंत श्री महा मंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव जी पधारे व् फूल होली मई सम्मलित हुए

 बजरंग दल, गौरक्षक दल तथा अन्य कई सामाजिक संस्थाओं को मिलाकर लगभग 5000 से भी अधिक लोग इस भंडारा व समापन दिवस  में सहभागी बने ।

समस्त आयोजन का संचालन गौ सेवा धाम के अध्यक्ष पं0 टीकाराम स्वामीजी ने कियाऔर सभी क्षेत्र वासिओ  का आयोजन के सफल समापन पर हार्दिक आभार व्यक्त किया

समस्त आयोजन में सभी कार्यकर्ताओं का विशेष सहयोग रहा।
news by Rahul sharma tiwari

Wednesday 18 April 2018

अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर गौसेवा धाम मे किया गया विशाल गौ भंडारा*

*गौमहा महोत्सव में रही कृष्ण जन्मोत्सव की धूम*

*अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर गौसेवा धाम मे किया गया विशाल गौ भंडारा*

कोसीकलाँ एवं होडल के बार्डर पर स्थित देवी चित्रलेखा जी के सानिध्य में संचालित गौसेवा धाम हाँस्पीटल में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस कथा वाचक पं0 कृष्ण चद्रं शास्त्री जी (ठाकुर जी) ने अक्षय तृतीया एवं बाल कृष्ण लीला का मधुर वर्णन सुनाया। कृष्ण जन्मोत्सव के दौरान टाँफी, गुब्बारे, फल, मिठाईयाँ आदि उपस्थित श्रद्धालुओं को बाँटी गई। साथ ही अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर गौमाता के लिये एक विशाल एवं एतिहासिक गौ महा भोज एवं गौ भंडारे का आयोजन भी किया गया। जिसमें गौसेवा धाम की तरफ से आसपास की समस्त गौशालाओं को मीठा दलिया एवं गौसेवा धाम में लगी रोटी मेकर मशीन की सहायता से हजारों ताजी रोटियाँ बनाकर निःशुल्क भेजी गई। गौसेवा धाम के इस सेवाकार्य की आसपास के ग्रामीणों ने प्रंशसा की तथा भविष्य में भी इसी तरह से गौसेवा का कार्य निरन्तर जारी रखने की अभिलाषा की। आयोजन के चतृर्थ दिवस  वृन्दावन से डा0 संजयकृष्ण सलिल जी का विशेष आगमन हुआ। समस्त आयोजन में गौसेवा धाम परिवार की प्रमुख भूमिका रही।

Monday 9 April 2018

गोसेवा आयोग के दावे फेल : गाय के पेट से ऑपरेशन में निकली 60 किलो पॉलीथिन gau seva dham hospital

राजमार्ग पर होडल में स्थित गोसेवा धाम अस्पताल में ऑपरेशन करने के दौरान एक गाय के पेट से 60 किलोग्राम पॉलीथिन लोहे की कील, पांच रुपये का सिक्का व काफी कचरा निकला। गाय के पेट से इस तरह से पालीथिन व कचरा निकलने की सूचना मिलने के बाद लोगों का उसे देखने के लिए तांता लगा हुआ है। चिकित्सकों द्वारा किए गए उस सफल आपरेशन के बाद गाय पूरी तरह से स्वस्थ है और अब अच्छी तरह से चारा खा रही है।
ऑपरेशन के द्वारा गाय के पेट से निकली इतनी ज्यादा पॉलीथिन ने सरकार के पॉलीथिन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने के दावों को भी फेल करके रख दिया है। वहीं सड़कों पर बेसहारा गायों को संरक्षण देने के गोसेवा आयोग के दावों को भी झुठला दिया है। विश्व विख्यात कथावाचक देवी चित्रलेखा द्वारा संचालित गोसेवा धाम अस्पताल में पलवल के रहने वाले गजेंद्र ने अपनी गाय को अस्पताल में भर्ती करवाया था। उसने डॉक्टरों को बताया कि उनकी गाय पिछले कुछ दिनों से कुछ खा नहीं रही है।

डॉक्टरों ने गाय की जांच की और बाद में हाल ही में लगाई गई आधुनिक एक्स-रे मशीन से गाय के पेट का एक्स-रे किया गया। इसमें गाय के पेट में कुछ कचरा सा दिखाई दिया। इस पर डॉक्टरों ने गाय का ऑपरेशन करने को कहा और ऑपरेशन किया गया। जैसे ही डॉक्टरों ने गाय का ऑपरेशन करने के लिए उसका पेट खोला तो डॉक्टर चकित रह गए। डाक्टरों को गाय के पेट में पालीथिन भरी मिली।

प्रभु का दिया हुआ है जीवन : चित्रलेखाजी

यह जीवन प्रभु का दिया हुआ है। प्रभु की भक्ति में समर्पित कर देना ही जीवन की सार्थकता है। यह शरीर क्या हमारा है। क्या ये आंख-कान हाथ हमारे हैं तो ये हमारे बस में क्यों नहीं रहते। यह मेरा कुछ नहीं है, ना कुछ लेकर आये हैं, ना कुछ लेकर जाएंगे। सिर्फ प्रभु भक्ति ही हमारा है।
किसनपुर-सुरमाहा खेल मैदान में आयोजित भागवत ज्ञान कथा की वाचिका साध्वी देवी चित्रलेखा जी ने अपनी देव वाणी में कही। साध्वी ने भागवत कथा के प्रथम श्लोक की व्याख्या करते हुये सुकदेव जी के जन्म की कथा का श्रवण कराया। कहा कि सुकदेव जी महराज जन्म लेते ही वन की ओर चले गये। उन्हें यह भी पता नहीं था कि स्त्री और पुरूष में क्या भेद होता है। साध्वी ने भगवान के भक्त विदुर एवं विदुरानी के कथा का भी श्रवण कराया। कहा कि ये जीवन मात्र प्रभु का दिया हुआ है। इसे प्रभु भक्ति में लगाना चाहिये। जैसा हम दूसरे से आचरण करेंगे हमारे विचार भी उसी तरह के बन जाएंगे। अत: आप सभी अपने हृदय में सुविचार रखें तथा भगवान की भक्ति में अपने को समर्पित करें। साधवी देवी चित्रलेखा ने कहा कि परमात्मा से जुड़ने के लिये श्रद्धा और विश्वास ही साधन बनता है। इस आयोजन में मुख्य आचार्य पंडित विजय कृष्ण, बलराम जी, धीरज भारद्वाज सहित वृंदावन से आयी समस्त संगीत टीम के साथ-साथ यजमान डॉ. शालिग्राम यादव, पूर्व मुखिया मनोज पासवान, मिथिलेश कुमार मुन्ना, अरूण कुमार यादव सहित स्थानीय युवक आयोजन को सफल बनाने में सराहनीय सेवा देते रहे।

जीव को कर्म के अनुसार भोगने पड़ते हैं फल : देवी चित्रलेखाजी

कोटा | दाधीचगार्डन मे वर्ल्ड संकीर्तन टूर ट्रस्ट और गो सेवा धाम द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन देवी चित्रलेखा ने हजारों श्रद्धालुओं को प्रवचन देते हुए कहा कि जीव जन्म लेते ही माया में लिपट जाता है। माया में लिपट जाने के कारण जीव अपने कल्याण के लिए कुछ नहीं कर पाता। वह जैसे-जैसे कर्म करता जाता है। वैसे-वैसे फल उसे भोगने पड़ते हैं। उन्होंने बताया के मृत्यु के बाद जीव को 28 नरकों में से अपने कर्म के अनुसार भोगना पड़ता है उन्होंने कहा की तात्पर्य यह है कि जीव को भगवान नाम के प्रति आस्था रखनी चाहिए। फिर वह नाम चाहे आलस्य में लें या भाव से लें। 

इसके बाद देवी चित्रलेखा ने गुरु और शिष्य के बंधन पर प्रकाश डाला कहा कि सच्चे गुरु और शिष्य के संबंध का उद्देश्य सिर्फ भगवद् प्राप्ति होती है। जो शिष्य अपने सद्गुरु की अंगुली पकड़ कर भक्ति करता है। निश्चित ही वह भगवान को पा लेता है। कथा प्रबंधक धीरज भारद्वाज ने बताया कि देवी चित्रलेखा जी ने कहा कि भागवत कथा प्रभू कृपा से ही संभव है जिसने हरिनाम को पकड़ लिया वो अमर हो गया जैसे भक्त प्रहलाद भक्त मीरा बाई संत तुकाराम कलियुग में केवल कृष्ण नाम के सहारे ही इस भव सागर से पार हुआ जा सकता है। 

उन्होंने कहा कि देश ऊंचे संस्कारोंगे बढ़ सकता है। हमारी शिक्षा प्रणाली को संस्कार से जोडने की आवश्यकता है। उन्होंने वर्तमान मे चल रहे एक वीडियो का भी जिक्र किया जिसके कारण बच्चे आत्महत्या कर रहे हैं। उन्होंने अभिभावकों से भी आग्रह किया कि अपने बच्चों को एटीएम मशीन मत बनाइए उन्हें सच्चा इंसान बनाइए बच्चे को उसकी रूचि के अनुसार पढ़ाई कराएं ताकि उसका विकास हो की विनाश। कथा विश्रांति पर भागवत जी की आरती मे पीपल्दा विधायक विधा शंकर नंदवाना सहित एलन के निदेशक गोविंद माहेश्वरी, ललितेश कौशिक, राजेन्द्र खण्डेलवाल, सुरेश दीक्षित, गिरधर बडेरा, आर पी सिंह आदि सम्मिलित हुए 

संकीर्तन टूर ट्रस्ट और गो सेवा धाम द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा। 

Women's day Special: जन और जीव की जिंदगी को रंगों से भर रहीं चित्रलेखाजी

शास्त्रों में एक श्लोक लिखा-यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। 
मतलब जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। इसी श्लोक को चरितार्थ करते हुए देवी चित्रलेखा महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देती आ रही हैं। उन्होंने सात वर्ष की अल्पायु से कन्या भ्रूण हत्या, पर्यावरण संरक्षण, वन्य जीव सुरक्षा को लेकर अभियान चलाया हुआ है।
इतना ही नहीं बीमार व बेसहारा गायों का भी वह सहारा बनी हुई हैं। सात वर्ष की आयु में श्रीमद्भागवत कथा वाचक बनने के साथ शुरू हुए अपने सफर में उन्होंने समाजसेवा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। चित्रलेखा से देवी चित्रलेखा बनीं, इस महिला ने साबित कर दिया कि यदि नारी चाहे तो उसके लिए कोई भी कार्य मुश्किल नहीं है। दूसरों शब्दों में कहें तो वह अपनी सेवा व प्रेम से जन-जीव की जिंदगी के कैनवस को रंगों से भर रही हैं।

होडल खाम्बी  निवासी देवी चित्रलेखा (22) ने 12 वर्ष पहले अपने गुरु बाबा गिरधारी, माता ब्रजलता, पिता टीका राम के सहयोग से लाचार व बीमार गोवंश के लिए काम करना शुरू किया। उनके इस कदम से जिला पलवल ही नहीं, उत्तर प्रदेश के मथुरा, कोसी, अलीगढ़ व आसपास के जिलों तथा फरीदाबाद, गुड़गांव व मेवात जिले में बेसहारा गायों को एक सहारा मिला।

Thursday 5 April 2018

भगवान श्रीकृष्ण को पाने का सबसे सरल तरीका है गोसेवा: देवी चित्रलेखा ji

कटेरा (झाँसी) कस्बे के झलकारी बाई स्टेडियम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन मंगलवार को वर्ल्ड संकीर्तन टूर ट्रस्ट एवं गौ सेवा धाम से पधारी कथा व्यास देवी चित्रलेखा जी ने अपने श्री मुख से गोसेवा पर जोर देते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए हमें बुरे कर्मों का संकल्पित भाव से त्याग करना होगा। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति गाय की निस्वार्थ सेवा करता है, उस पर हमेशा भगवान की कृपा बरसती है। श्रीकृष्ण को पाने का सबसे सरल तरीका गोसेवा ही है।
कथा व्यास देवी चित्रलेखा जी ने भगवान के बाराह अवतार की कथा का प्रसंग सुनाते हुये कहा कि प्रारम्भ में सृष्टि में जल ही जल था। जिससे सृष्टि का कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहा था। क्योंकि पृथ्वी व चारों वेद ब्रह्मा जी से चुराकर हिरण्याक्ष रसातल में ले गया था। भगवान ने बाराह अवतार धारण कर हिरण्याक्ष का वध किया और पृथ्वी व वेद को वापस लाये। उन्होंने कपिल अवतार की कथा सुनाई। शिव जी के द्वारा दक्ष का यज्ञ विध्वंस किया गया। दक्ष यज्ञ की सम्पूर्ण कथा विस्तार से सुनाई। भक्त ध्रुव की कथा सुन कर श्रद्धालु भाव विभोर हो गये। जड़ भरत की कथा भी विस्तार से सुनाई। अजामिल का उपाख्यान सुना कर बताया कि साधुओं के कहने से अजामिल ने अपने पुत्र का नाम नारायण रखा। अन्त समय में अपने पुत्र नारायण को आवाज दी। इसी से उसका उद्धार हो गया। कथा व्यास ने अपने मधुर कंठ से संगीत की मधुर स्वर लहरियों पर अनेकों भजन सुनाकर श्रद्धालुओं को झूमने एवं नृत्य करने को विवश कर दिया। अन्त में आरती के पश्चात प्रसाद वितरण कराया गया।