Monday 9 April 2018

प्रभु का दिया हुआ है जीवन : चित्रलेखाजी

यह जीवन प्रभु का दिया हुआ है। प्रभु की भक्ति में समर्पित कर देना ही जीवन की सार्थकता है। यह शरीर क्या हमारा है। क्या ये आंख-कान हाथ हमारे हैं तो ये हमारे बस में क्यों नहीं रहते। यह मेरा कुछ नहीं है, ना कुछ लेकर आये हैं, ना कुछ लेकर जाएंगे। सिर्फ प्रभु भक्ति ही हमारा है।
किसनपुर-सुरमाहा खेल मैदान में आयोजित भागवत ज्ञान कथा की वाचिका साध्वी देवी चित्रलेखा जी ने अपनी देव वाणी में कही। साध्वी ने भागवत कथा के प्रथम श्लोक की व्याख्या करते हुये सुकदेव जी के जन्म की कथा का श्रवण कराया। कहा कि सुकदेव जी महराज जन्म लेते ही वन की ओर चले गये। उन्हें यह भी पता नहीं था कि स्त्री और पुरूष में क्या भेद होता है। साध्वी ने भगवान के भक्त विदुर एवं विदुरानी के कथा का भी श्रवण कराया। कहा कि ये जीवन मात्र प्रभु का दिया हुआ है। इसे प्रभु भक्ति में लगाना चाहिये। जैसा हम दूसरे से आचरण करेंगे हमारे विचार भी उसी तरह के बन जाएंगे। अत: आप सभी अपने हृदय में सुविचार रखें तथा भगवान की भक्ति में अपने को समर्पित करें। साधवी देवी चित्रलेखा ने कहा कि परमात्मा से जुड़ने के लिये श्रद्धा और विश्वास ही साधन बनता है। इस आयोजन में मुख्य आचार्य पंडित विजय कृष्ण, बलराम जी, धीरज भारद्वाज सहित वृंदावन से आयी समस्त संगीत टीम के साथ-साथ यजमान डॉ. शालिग्राम यादव, पूर्व मुखिया मनोज पासवान, मिथिलेश कुमार मुन्ना, अरूण कुमार यादव सहित स्थानीय युवक आयोजन को सफल बनाने में सराहनीय सेवा देते रहे।

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