Monday 9 April 2018

जीव को कर्म के अनुसार भोगने पड़ते हैं फल : देवी चित्रलेखाजी

कोटा | दाधीचगार्डन मे वर्ल्ड संकीर्तन टूर ट्रस्ट और गो सेवा धाम द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन देवी चित्रलेखा ने हजारों श्रद्धालुओं को प्रवचन देते हुए कहा कि जीव जन्म लेते ही माया में लिपट जाता है। माया में लिपट जाने के कारण जीव अपने कल्याण के लिए कुछ नहीं कर पाता। वह जैसे-जैसे कर्म करता जाता है। वैसे-वैसे फल उसे भोगने पड़ते हैं। उन्होंने बताया के मृत्यु के बाद जीव को 28 नरकों में से अपने कर्म के अनुसार भोगना पड़ता है उन्होंने कहा की तात्पर्य यह है कि जीव को भगवान नाम के प्रति आस्था रखनी चाहिए। फिर वह नाम चाहे आलस्य में लें या भाव से लें। 

इसके बाद देवी चित्रलेखा ने गुरु और शिष्य के बंधन पर प्रकाश डाला कहा कि सच्चे गुरु और शिष्य के संबंध का उद्देश्य सिर्फ भगवद् प्राप्ति होती है। जो शिष्य अपने सद्गुरु की अंगुली पकड़ कर भक्ति करता है। निश्चित ही वह भगवान को पा लेता है। कथा प्रबंधक धीरज भारद्वाज ने बताया कि देवी चित्रलेखा जी ने कहा कि भागवत कथा प्रभू कृपा से ही संभव है जिसने हरिनाम को पकड़ लिया वो अमर हो गया जैसे भक्त प्रहलाद भक्त मीरा बाई संत तुकाराम कलियुग में केवल कृष्ण नाम के सहारे ही इस भव सागर से पार हुआ जा सकता है। 

उन्होंने कहा कि देश ऊंचे संस्कारोंगे बढ़ सकता है। हमारी शिक्षा प्रणाली को संस्कार से जोडने की आवश्यकता है। उन्होंने वर्तमान मे चल रहे एक वीडियो का भी जिक्र किया जिसके कारण बच्चे आत्महत्या कर रहे हैं। उन्होंने अभिभावकों से भी आग्रह किया कि अपने बच्चों को एटीएम मशीन मत बनाइए उन्हें सच्चा इंसान बनाइए बच्चे को उसकी रूचि के अनुसार पढ़ाई कराएं ताकि उसका विकास हो की विनाश। कथा विश्रांति पर भागवत जी की आरती मे पीपल्दा विधायक विधा शंकर नंदवाना सहित एलन के निदेशक गोविंद माहेश्वरी, ललितेश कौशिक, राजेन्द्र खण्डेलवाल, सुरेश दीक्षित, गिरधर बडेरा, आर पी सिंह आदि सम्मिलित हुए 

संकीर्तन टूर ट्रस्ट और गो सेवा धाम द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा। 

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